सोमवार, 12 अप्रैल 2010

मेरा परिचय

मेरा परिचय

उन सबका परिचय है
जो सोये नहीं हैं जनम के बाद
लपट है जिनके भीतर

जिसे छू दें भस्म कर दें
जिस पर हाथ रख दें
वह पिघलकर बहने लगे

चल पड़ें तो
जमीन अगिया जाये
रास्ते की धूल
धुआं बन जाये

बोलें तो बिजलियां कड़क उट्ठें
लिखें तो शब्द-शब्द
सोये दिमागों पर
अग्निवाण की तरह बरसें

जो खुद से टकरा रहे हों
टुकड़े-टुकड़े हो रहे हों
जो धधकते रहते हों
पृथ्वी के गर्भ की तरह
ज्वालामुखी बनने को आतुर
लावा से नया रचने को बेचैन
सूर्य को अपने भीतर समेटे
खौलते हुए

मेरा परिचय
उन अनगिनत लोगों
का परिचय है
जो मेरी ही तरह
उबल रहे हैं लगातार

जो दीवारों में
चुने जाने से खुश हैं
उनसे मुझे कुछ नहीं कहना
जो मुर्दों की मानिंद
घर से निकलते हैं
बाजारों में खरीदारी करते हैं
और खुद खरीदे हुए
सामान में बदल जाते हैं
वापस घर लौटकर
सजी हुई काफिन में
कैद हो जाते हैं चुपचाप
जो सिक्कों की खनक
पर बिक जाते हैं
चुरायी हुई खुशी में
खो जाते हैं

वे टूट सकते हैं आसानी से
उनकी ऊंगलियां
कटार नहीं बन सकतीं
उनके हाथ लाठियों में
नहीं बदल सकते

वे रोटियां नहीं खाते
रोटियां उन्हें खाती हैं
ऐसे मुर्दों पर गंवाने के लिए
वक्त नहीं है मेरे पास

मैं अपने जैसे गिने-चुने
लोगों को ढूँढ रहा हूं
मुझे आग बोनी है
और अंगारे उगाने हैं

मेरा परिचय
उन सबका परिचय है
जो एक दूसरे को जाने बिना
आग के इस खेल में शरीक हैं
लुकाठा लिए मैं
बाजार में खड़ा हूं
जो अपना घर
फूंक सकते हों
भीड़ से अलग हट जायें
मेरे साथ आ जायें

4 टिप्‍पणियां:

  1. मेरा परिचय
    उन सबका परिचय है
    जो एक दूसरे को जाने बिना
    आग के इस खेल में शरीक हैं
    लुकाठा लिए मैं
    बाजार में खड़ा हूं
    जो अपना घर
    फूंक सकते हों
    भीड़ से अलग हट जायें
    मेरे साथ आ जायें

    बहुत खूब ....!!

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  2. मैं अपने जैसे गिने-चुने
    लोगों को ढूँढ रहा हूं
    मुझे आग बोनी है
    और अंगारे उगाने हैं

    Dhoondte rahiye....zaroor milenge !

    Beautiful creation

    जवाब देंहटाएं
  3. वे रोटियां नहीं खाते
    रोटियां उन्हें खाती हैं
    ऐसे मुर्दों पर गंवाने के लिए
    वक्त नहीं है मेरे पास
    आब समय आ गया है कि कोई उठे इस आवाज के साथ और बदल दे दुनिया। अगर अभी न चेते तो देर हो जायेगी बहुत अच्छी रचना है। धन्यवाद्

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